बृहस्पति (ग्रह)
सूर्य से पांचवा ग्रह / From Wikipedia, the free encyclopedia
बृहस्पति (प्रतीक: ) सूर्य से पाँचवाँ और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह मुख्य रूप से एक गैस पिंड है जिसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। बृहस्पति को शनि, अरुण और वरुण के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसे रात्रि में नंगी आंखों से देखा जा सकता है। खगोल विद ने सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति का चक्कर लगा रहे 12 नए उपग्रहों की खोज की है इस खोज के बाद से बृहस्पति के अब कुल 95 उपग्रह हो गए हैं फिर भी शनि 145 उपग्रह के साथ सबसे ज्यादा उपग्रह वाला ग्रह है।
कैसिनी से ली गई बृहस्पति की छवि, काला धब्बा युरोपा की परछाई है। |
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उपनाम
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विशेषण | बाहरी ग्रह | ||||||
युग J2000 | |||||||
उपसौर | ८१,६५,२०,८०० कि॰मी॰ (५.४५८१०४ ख॰ई॰) |
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अपसौर | ७४,०५,७३,६०० कि॰मी॰ (४.९५०४२९ ख॰ई॰) |
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अर्ध मुख्य अक्ष | ७७,८५,४७,२०० कि॰मी॰ (५.२०४२६७ ख॰ई॰) |
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विकेन्द्रता | ०.०४८७७५ | ||||||
परिक्रमण काल | ४,३३२.५९ दिन ११.८६१८ वर्ष १०,४७५.८ बृहस्पति सौर दिवस[3] |
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संयुति काल | ३९८.८८ दिन[4][lower-alpha 1] | ||||||
औसत परिक्रमण गति | १३.०७ कि॰मी॰/से॰[4] | ||||||
औसत अनियमितता | १८.८१८° | ||||||
झुकाव | १.३०५° क्रान्तिवृत्तसे ६.०९° सूर्यकी भूमध्यरेखा से ०.३२° अविकारी सतह से[5] |
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आरोही ताख का रेखांश | १००.४९२° | ||||||
उपमन्द कोणांक | २७५.०६६° | ||||||
उपग्रह | ९५ | ||||||
भौतिक विशेषताएँ
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माध्य त्रिज्या | ६९,९११ ± ६ कि॰मी॰[6][7] |
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विषुवतीय त्रिज्या | ७१,४९२ ± ४ कि॰मी॰[6][7] ११.२०९ पृथ्वी |
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ध्रुवीय त्रिज्या | ६६,८५४ ± १० कि॰मी॰[6][7] १०.५१७ पृथ्वी |
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सपाटता | ०.०६४८७ ± ०.०००१५ | ||||||
तल-क्षेत्रफल | ६.१४१९×१०१० कि॰मी॰२[7][8] १२१.९ पृथ्वी |
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आयतन | १.४३१३×१०१५ ;कि॰मी॰३[4][7] १३२१.३ पृथ्वी |
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द्रव्यमान | १.८९८६×१०२७ कि.ग्रा.[4] ३१७.८ पृथ्वी १/१०४७ सूर्य[9] |
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माध्य घनत्व | १.३२६ ग्राम/से॰मी॰३[4][7] | ||||||
विषुवतीय सतह गुरुत्वाकर्षण | २४.७९ मीटर/सेकण्ड२[4][7] २.५२८ g |
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पलायन वेग | ५९.५ कि॰मी॰/सेकण्ड[4][7] | ||||||
नाक्षत्र घूर्णन काल |
९.९२५ घंटा[10] (9 घंटा 55 मिनट 30 सेकण्ड) | ||||||
विषुवतीय घूर्णन वेग | १२.६ कि॰मी॰/सेकण्ड ४५,३०० कि॰मी॰/घंटा |
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अक्षीय नमन | ३.१३°[4] | ||||||
उत्तरी ध्रुव दायां अधिरोहण | २६८.०५७° १७ घंटा ५२ मिनट १४ सेकण्ड[6] |
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उत्तरी ध्रुवअवनमन | ६४.४९६°[6] | ||||||
अल्बेडो | ०.३४३ (Bond) ०.५२ (geom.)[4] |
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सतह का तापमान 1 bar level |
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सापेक्ष कांतिमान | -१.६ से -२.९४[4] | ||||||
कोणीय व्यास | २९.८" — ५०.१"[4] |
यह ग्रह प्राचीन काल से ही खगोलविदों द्वारा जाना जाता रहा है[11] तथा यह अनेकों संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं और धार्मिक विश्वासों के साथ जुड़ा हुआ था। रोमन सभ्यता ने अपने देवता जुपिटर के नाम पर इसका नाम रखा था।[12] इसे जब पृथ्वी से देखा गया, बृहस्पति -2.94 के सापेक्ष कांतिमान तक पहुँच सकता है, छाया डालने लायक पर्याप्त उज्जवल,[13] जो इसे चन्द्रमा और शुक्र के बाद आसमान की औसत तृतीय सर्वाधिक चमकीली वस्तु बनाता है। (मंगल ग्रह अपनी कक्षा के कुछ बिंदुओं पर बृहस्पति की चमक से मेल खाता है)।
बृहस्पति एक चौथाई हीलियम द्रव्यमान के साथ मुख्य रूप से हाइड्रोजन से बना हुआ है और इसका भारी तत्वों से युक्त एक चट्टानी कोर हो सकता है।[14]अपने तेज घूर्णन के कारण बृहस्पति का आकार एक चपटा उपगोल (भूमध्य रेखा के पास चारों ओर एक मामूली लेकिन ध्यान देने योग्य उभार लिए हुए) है। इसके बाहरी वातावरण में विभिन्न अक्षांशों पर कई पृथक दृश्य पट्टियां नजर आती है जो अपनी सीमाओं के साथ भिन्न भिन्न वातावरण के परिणामस्वरूप बनती है। बृहस्पति के विश्मयकारी 'महान लाल धब्बा' (Great Red Spot), जो कि एक विशाल तूफ़ान है, के अस्तित्व को १७ वीं सदी के बाद तब से ही जान लिया गया था जब इसे पहली बार दूरबीन से देखा गया था। यह ग्रह एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र और एक धुंधले ग्रहीय वलय प्रणाली से घिरा हुआ है। बृहस्पति के कम से कम ७९(२०१८ तक) चन्द्रमा है। इनमें वो चार सबसे बड़े चन्द्रमा भी शामिल है जिसे गेलीलियन चन्द्रमा कहा जाता है जिसे सन् १६१० में पहली बार गैलीलियो गैलिली द्वारा खोजा गया था। गैनिमीड सबसे बड़ा चन्द्रमा है जिसका व्यास बुध ग्रह से भी ज्यादा है। यहाँ चन्द्रमा का तात्पर्य उपग्रह से है।
बृहस्पति का अनेक अवसरों पर रोबोटिक अंतरिक्ष यान द्वारा, विशेष रूप से पहले पायोनियर और वॉयजर मिशन के दौरान और बाद में गैलिलियो यान के द्वारा, अन्वेषण किया जाता रहा है। फरवरी २००७ में न्यू होराएज़न्ज़ प्लूटो सहित बृहस्पति की यात्रा करने वाला अंतिम अंतरिक्ष यान था। इस यान की गति बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल कर बढाई गई थी। इस बाहरी ग्रहीय प्रणाली के भविष्य के अन्वेषण के लिए संभवतः अगला लक्ष्य यूरोपा चंद्रमा पर बर्फ से ढके हुए तरल सागर शामिल हैं। इसके उपग्रहों की संख्या 79 है।