षडयंत्र
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विधि के सन्दर्भ में, षड्यन्त्र का सामान्य अर्थ साज़िश, धोखा देने की योजना, दुरभिसन्धि, गुप्तरूप से की जाने वाली कार्रवाई आदि के रूप में लिया जाता है।
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120-क के अनुसार आपराधिक षड्यन्त्र की परिभाषा
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी अवैध कार्य या किसी वैध कार्य को अवैध तरीके से करने या करवाने को सहमत होते हैं तो उसे आपराधिक षड्यन्त्र कहते हैं।
अर्थात षडयन्त्र के लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों का होना आवश्यक है, कोई अवैध कार्य करना/अकरवाना या कोई वैध कार्य अवैध साधनों द्वारा करना/करवाना आवश्यक है।
अवैध कार्य – आपराधिक षड्यन्त्र के अपराध को गठित करने के लिए समझौता निश्चयतः विधि विरुद्ध अथवा विधि द्वारा निषिद्ध कोई कार्य करने के लिए होना चाहिए।
अवैध साधनों द्वारा – किसी कार्य को, भले ही वह वैध हो, अवैध साधनों द्वारा करने की सहमति षड्यन्त्र मानी जाएगी। कार्य का अन्त साधनों को न्यायोचित नही ठहराता। उदाहरण के लिए प्रतिद्वन्दी व्यापारी को मात देना अवैध कार्य नही है परन्तु सस्ती वस्तुओं के विक्रेता को नष्ट करने के लिए एकीकृत होकर एक दिवालिया क्रेता को ऋण देने के लिए प्रोत्साहन देकर विक्रेता को हानि पहुचाना अवैध होगा।
षड्यन्त्र का प्रमाण – आपराधिक षड्यन्त्र हेतु यह आवश्यक नही है कि किये गये अभिकथित समझौते का प्रत्यक्ष साक्ष्य द्वारा साबित किया जाए क्योंकि ऐसा साक्ष्य सामान्यतः उपलब्ध नही होता।
हीरालाल हरिलाल भगवती बनाम सी.बी.आई. (2003) उच्चतम न्यायालय ने निर्धारित किया कि षड्यन्त्र के अपराध को भारतीय दण्ड संहिताकी धारा 120-B के दायरे में लाने के लिए यह सिद्ध करना आवश्यक है कि पक्षकार के बीच विधिविरुद्ध कार्य करने का करार हुआ था तथापि प्रत्यक्ष साक्ष्य से षड्यन्त्र को सिद्ध करना कठिन है।
सेन्ट्रल ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन, हैदराबाद बनाम नारायण राव (2012) के वाद में यह अभिनिर्धारित किया गया कि किसी कार्य का करार आपराधिक षड्यन्त्र का मूल तत्व है। आपराधिक षड्यन्त्र का प्रत्यक्ष साक्ष्य मिलना यदा कदा उपलब्ध होता है यह घटना के पूर्व या बाद की परिस्थितियों के आधार पर सिद्ध किया जाता है। सिद्ध परिस्थितियों को यह स्पष्ट दर्शाना चाहिए कि वे एक करार के अग्रसरण में कारित की गयी है।
आपराधिक षड्यन्त्र का आधार करार में निहित है लेकिन एक अवयस्क किसी प्रकार से षड्यन्त्र में शामिल नही हो सकता इसीलिए जब एक अवयस्क के साथ कोई व्यक्ति करार करके आपराधिक षड्यन्त्र गठित करता है तो वहा पर करार शून्य होने के कारण वह व्यक्ति आपराधिक षड्यन्त्र के लिए दायी नही होगा लेकिन वह धारा 107 के अधीन एक अवयस्क के दुष्प्रेरण के अपराध के लिए दायी होगा।
- धारा 120-B. आपराधिक षड्यन्त्र के लिए दण्ड
(१) जो कोई दो वर्ष से अधिक अवधि के कठिन कारावास से दण्डनीय अपराध करने के आपराधिक षड्यन्त्र में शरीक होगा, यदि ऐसे षड्यन्त्र के दण्ड के लिए इस संहिता में अभिव्यक्त उपबन्ध नही है तो, वह उसी प्रकार दण्डित किया जाएगा, मानो उसने ऐसे अपराध का दुष्प्रेरण किया था।
(२) जो कोई पूर्वोक्त रूप से दण्डनीय अपराध को करने के आपराधिक षड्यन्त्र से भिन्न किसी आपराधिक षड्यन्त्र में शरीक होगा वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि 6 माह से अधिक नही होगी या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जाएगा।