दिपावली
हिंदू तिहुआर / From Wikipedia, the free encyclopedia
दिपावली, दीपावली चाहे दिवाली हिंदू लोगन के एक ठो प्रमुख तिहुआर हवे जे नेपाल, भारत आ औरू सगरी अइसन देसन में जहाँ हिंदू लोग निवास करत बा, ओह लोगन द्वारा मनावल जाला। काशी क्षेत्र में प्रचलित पंचांग के अनुसार कातिक के महीना में अंतिम दिन, अमौसा तिथि के, ई तिहवार मनावल जाला। अंग्रेजी कलेंडर के हिसाब से ई अक्सर अक्टूबर या नवंबर के महीना में पड़े ला। भारत, श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान, फिजी, गयाना, मलेशिया, मॉरिशस, म्यांमार, सिंगापुर, सूरीनाम, आ त्रिनिदाद आ टोबैगो में ई तिहवार सरकारी तौर पर छुट्टी के दिन होला।
दिपावली | |
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अन्य नाँव | दिवाली |
मनावे वाला | हिंदू, सिख, जैन आ बौद्ध[1] |
प्रकार | भारतीय, सांस्कृतिक, धार्मिक |
मनावे के तरीका | दिया आ बिजली के सजावट, घर के सजावट, खरीदारी, पड़ाका छोड़ल, पूजा (प्रार्थना), गिफ्ट, धार्मिक रिवाज, मिठाई आ प्रसाद |
सुरू | धनतेरस, दिपावली से 2 दिन पहिले |
अंत | भइया दुइज, दिवाली के 2 दिन बाद |
समय | हिंदू पतरा के अनुसार |
संबंधित बा | काली पूजा, दिवाली (जैन धर्म), बंदी छोड़ दिवस |
दियाली के तिहवार अँजोर, प्रकाश आ खुसी के परब हवे। मुख्य कथा के मोताबिक एह दिन राम लंका से वापस लवट के अजोध्या पहुँचलें आ उहाँ के लोग दिया बार के आपन खुसी मनावल। वर्त्तमान में दिवाली के तिहवार लोग ढेर सारा दिया जरा के अपना घर-दुकान पर सजा के मानावे ला। लच्छमी आ गणेश के पूजा करे ला आ एक दुसरा के मिठाई आ उपहार दे के खुसी मनावेला।
दीपावली के तिहवार से पहिले तमाम लोग अपना घर दुआर के सफाई करे आ माटी के घर लीप के चिक्कन कइल जाय, बरसात में भइल टूट-फूट के मरम्मत होखे। अब लोग अपना घर-दूकान के पेंट करवावे ला आ सजावट करे ला। तिहवार के सुरुआत मुख्य दिवाली के रात, जे अमौसा के पड़े ला, ओह से कई दिन पहिले से सुरू हो जाला। धनतेरस, दिवाली से दू दिन पहिले पड़े ला जहिया तरह तरह के खरीदारी करे ला लोग। धनतेरस के अगिला दिन नरक चतुर्दसी होला, जेकरा कुछ लोग छोटी दिवाली भी मनावे ला। एकरा बाद मुख्य दिवाली के दिन आवेला। साँझ बेरा लोग नहा-धो के नीक कपड़ा पहिर के लक्ष्मी-गणेश के पूजा करे ला आ दिया बारे ला। घर या दुकान के दिया से सजावल जाला। एकरे बाद पड़ाका फोरे के सुरुआत होला।
जहिया हिंदू लोग दिपावली मनावे ला ओही दिन, जैन लोग महावीर के मोक्ष परब के रूप में भी मनावे ला। सिख लोग एकरा के "बंदी छोड़ दिवस" के रूप में मनावे ला आ कुछ नेवार क्षेत्र के बौद्ध लोग एकरा के अशोक के बौद्ध धरम स्वीकार करे के दिन के रूप में भी मनावे ला।