शुगर रोग
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शुगर के रोग चाहे शुगर के बेमारी, जेकरा आम जनता खाली शूगर के नाँव से बोलावे ले, मेटाबोलिज्म (हिंदी:चयापचय) संबंधी रोग हवे जेह में हाई ब्लड शुगर के समस्या पैदा हो जाले आ लमहर समय ले चल सके ले।[11] बेर-बेर पेशाब लागल, बहुत पियास लागल आ बहुत जादे भूख लागल एह बेमारी के सभसे आम लच्छन सभ बाड़ें।[2][12] अगर एकर इलाज न करावल जाय तब ई शरीर के अंदर कई किसिम के जटिलता पैदा क सके ला[2] आ कई अंग सभ के परमानेंट नोकसान पहुँचा सके ला।
शुगर रोग | |
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दूसर नाँव | Diabetes mellitus (अंग्रेजी), मधुमेह (हिंदी) |
नीला रंग के गोला जे शुगर के चीन्हा हवे[1] | |
मेडिकल ब्रांच | इंडोक्राइनोलॉजी |
लच्छन | बेर-बेर पेशाब लागल, बेसी पियास, बेसी भूख[2] |
रोग बिगड़ले पर | डायबेटिक केटोएसिडोसिस (ketoacidosis), हाइपरओस्मोलार हाइपरग्लाइकेमिक अवस्था, दिल के बेमारी, दिल के दौरा, हाथ-गोड़ में सुई गड़े नियर अनुभव, किडनी फेल भइल, गोड़ में घाव, बोध (देखे सुने) में कमी, गैस्ट्रोपैरेसिस (gastroparesis)[2][3][4][5] |
रिस्क रहेला | टाइप 1: परिवार में इतिहास[6]
टाइप 2: मोटापा, कसरत के कमी, जेनेटिक[2][7] |
जाँच के तरीका | ब्लड शुगर के जाँच[2] |
इलाज | सेहतमंद खानपान, कसरत[2] |
दवाई | इंसुलिन, शुगर के दवाई[2][8][9] |
फ्रीक्वेंसी | 463 मिलियन (8.8%)[10] |
मौत | 4.2 मिलियन (2019)[10] |
अंग्रेजी में डायबिटीज मेलिटस (Diabetes mellitus) चाहे खाली भर डायबिटीज कहल जाल आ हिंदी में मधुमेह कहाला। अंग्रेजी में एकरा के रोग भा बेमारी, मने की डिजीज, ना कहल जाला बलुक डिसऑर्डर कहल जाला। खून में जरूरत से बेसी शुगर होखे के हाइपरग्लाइसिमिया (hyperglycemia) आ आसान भाषा में हाई ब्लड शुगर कहल जाला।
शुगर के बेमारी, डायबिटीज मेलिटस, या त इंसुलिन के कमी से होला या फिर इंसुलिन के साथे रिस्पांस कम होखे से।[13] एह तरीका से ई प्रमुख रूप से तीन किसिम के होला:[2]
- टाइप-1: जेह में पैंक्रियाज में भरपूर मात्रा में इंसुलिन ना बन पावे ला।
- टाइप-2: जेह में शरीर के कोशिका सभ इंसुलिन के उचित जबाब ना दे पावे लीं; एकरा इंसुलिन रेजिस्टेंस कहल जाला। बाद में रोग बढ़े पर इंसुलिन के कमी भी सामिल हो सके ला।[14] एकर मुख्य कारन मोटापा आ बिना शारीरिक मेहनत भा कसरत के जिंदगी होखे ला।
- गेस्टेशनल: जेह में औरत लोगन के गरभ के दौरान अचानक ब्लड शुगर हाई हो जाला जबकि पहिले से शुगर बढ़े के कौनों इतिहास ना होखे ला।
टाइप 1 शुगर के मैनेज करे ला इंसुलिन के सुई लगावही के परे ला।[2] टाइप 2 शुगर के रोकथाम आ मैनेजमेंट कइल जा सके ला जेह में सेहतमंद खानपान, रेगुलर मेहनत-कसरत, सही वजन बना के राखल आ तमाकू के इस्तेमाल ना कइल शामिल बा[2] एकरे खातिर खाए जाए वाली दवाई के रूप में इंसुलिन के खातिर कोशिका सभ के जबाब देवे के छमता बढ़ावे वाली दवाई दिहल जालीं। इनहन के इंसुलिन सेंसिटाइजर कहल जाला आ इंसुलिन के साथे चाहे बिना इंसुलिन के दिहल जा सके लीं।[15] जेकरा ई बेमारी हो गइल होखे ओकरा के सलाह दिहल जाला कि ब्लड प्रेशर के धियान रखे आ हाथ गोड़ के सुरक्षा आ आँख के सही देखभाल करे।[2] इंसुलिन आ खाए वाली दवाई से कई बेर अचानक हाइपोग्लाइसेमिया, मने कि लो ब्लड शुगर, के समस्या हो सके ला।[16]मोटापा कम करे वाला आपरेशन (सर्जरी) कई बेर ओह लोग में टाइप 2 शुगर में कामे आवे ला जेकरा ई बेमारी मोटापा बहुत होखे के कारन भइल होखे।[17] गेस्टेशनल शुगर, मने कि गरभ के अवस्था में महतारी के भइल शुगर आमतौर प जचगी के बाद अपने-आपे नीक हो जाला।[18]
2019 तक के आँकड़ा देखल जाय तब 463 मिलियन (46.3 करोड़) लोगन के दुनियाँ भर में शुगर होखे के एस्टीमेट बा (कुल पुरहर (एडल्ट) लोगन के आबादी के 8.8 %), जेह में 90 % केस टाइप 2 शुगर के बाड़ें।[10] Rates are similar in women and men.[19] ट्रेंड देखल जाय तब इहे बुझा रहल बाटे कि एकर केस में बढ़ती हो रहल बा आ ई बढ़ती आगहूँ चालू रहे के संभावना बा।[10] शुगर के बेमारी केहुओ के जल्दी मौत के रिस्क के लगभग दुगुन्ना बढ़ा देला।[2] साल 2019 में शुगर के चलते कम के कम करीबन 42 लाख लोगन के मौत भइल।[10] एह तरीका से ई दुनियाँ में मौत के सभसे आम कारन सभ में 7वाँ नंबर के बेमारी बाटे।[20][21] बैस्विक रूप से एह बेमारी के कुल आर्थिक कीमत 2017 में US$727 बिलियन होखे के अनुमान लगावल गइल रहे।[10] अकेल्ले अमेरिके में US$327 बिलियन रकम लोग एह बेमारी पर साल 2017 में खरच कइल।[22] आम लोगन के तुलना में शुगर के मरीज लोगन के बेमारी आ इलाज पर खरच 2.3 गुना बेसी देखल गइल बाटे।[23]
भारत में शुगर रोग के बात कइल जाय तब, एगो रपट के मोताबिक, 2019 में कुल 77 मिलियन (सात करोड़ सत्तर लाख) लोग के एहिजा शुगर के रोग रहे; मने कि दुनियाँ के कुल शुगर मरीजन में से छह गो में से एक ब्यक्ति भारत से बा।[24]