हज
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हज मुसलमान लोगन के सालाना धार्मिक जात्रा हवे जेह में दुनिया भर से लोग सउदी अरब के मक्का शहर पहुँचेला आ एह जतरा के बिबिध रसम पूरा करे ला। हज, इस्लाम धरम के पाँच गो आधार में से एक हवे, बाकी नमाज, ज़कात, सलात आ शहादा हवें। एक तरह से ई हर मुसलमान के धार्मिक कर्तब्य हवे कि ऊ अपना जिनगी में एक बेर हज करे जाव। धार्मिक रूप से हर ब्यक्ति खाती ज़रूरी बतावल गइल हवे आ सेहत एह लायक होखे आ खर्चा उठावे के सकत होखे, इस्लाम के माने वाला हर मर्द औरत के ई जात्रा करे के बिधान हवे।
मुसलमान लोग माने ला कि इहाँ हजारन साल पहिले से, पैगंबर अब्राहम (जिनके लोग हजरत इब्राहीम कहे ला) के समय से धार्मिक यात्रा चले ला। बीच में इहाँ मूर्ती के पूजा आ लग-अलग किसिम के मत वाला लोग के धार्मिक रसम भी होखे लागल रहे, पैगंबर मुहम्मद द्वारा पुरनकी रिवाज सभ के दोबारा अस्थापित कइल गइल आ बाकी सभ पूजा बंद करवावल गइल।
हज के जात्रा इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीना जिल-हिज में होला आ चंद्रमा पर आधारित होखे के कारण ई अंग्रेजी कैलेंडर के तुलना में घसकत रहे ला।