ऍसऍन 1006
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ऍसऍन 1006 (SN 1006) एक महानोवा था जो सम्भवतः ज्ञात इतिहास की सबसे रोशन तारकीय घटना थी। इसका सापेक्ष कांतिमान −7.5 तक पहुँच गया था जो कि आकाश में शुक्र ग्रह से 16 गुना अधिक रोशन हुआ होगा। यह लगभग एक हज़ार वर्ष पूर्व अप्रैल 30 और मई 1, 1006 ईसवी के बीच आकाश में वृक तारामंडल में देखा गया, और इस घटना का वर्णन प्राचीन चीन, जापान, इराक़, मिस्र और यूरोप की लिखाईयों में मिलता है। सम्भव है कि इसे उत्तर अमेरिकी आदिवासियों ने भी शिलाचित्रों में प्रदर्शित करा हो। कुछ ब्योरों के अनुसार इसे दिन की रोशनी में भी स्पष्ट देखा जा सकता था। आधुनिक खगोलशास्त्री इसे हमसे लगभग 7,200 प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित मानते हैं।[3][4][1]
सामान्य तथ्य अन्य नामांकन, तारकीय श्रेणी ...
अन्य नामांकन | SN 1006, SN 1006A, SN 1016, SNR G327.6+14.6, SNR G327.6+14.5, 1ES 1500-41.5, MRC 1459-417, XSS J15031-4149, PKS 1459-41, AJG 37, 4U 1458-41, 3U 1439-39, 2U 1440-39, MSH 14-4-15, PKS 1459-419, PKS J1502-4205 |
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तारकीय श्रेणी | प्रकार Iए (अनुमान) |
तिथि | 17 अप्रैल 1006 से 1 मई 1006 |
तारामंडल | वृक तारामंडल |
दायाँ आरोहण | 15h 2m 8s |
दिक्पात | −41° 57′ |
युग | 2000 |
गैलेक्सीय निर्देशांक | 327.6+14.6 |
दूरी | 7,200 प्रकाश वर्ष (2.2 किलोपारसेक) |
अवशेष | छल्ला |
Host | क्षीरमार्ग |
जनक | अज्ञात |
जनक प्रकार | अज्ञात |
रंग (B-V) | ऐतिहासिक जापानी विवेचकों ने इसे नीला-श्वेत बताया था[1] |
उल्लेखनीय लक्षण | ज्ञात इतिहास का सबसे रोशन महानोवा |
अधिकतम सापेक्ष कांतिमान | −7.5[2] |
पूर्ववर्ती | ऍसऍन 393 |
उत्तरवर्ती | ऍसऍन 1054 |
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