केश (सिख धर्म)
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केश (शाब्दिक अर्थ : बाल) रखना सिख धर्म की एक प्रथा है जिसमें शरीर के बालों को बिना काटे ही अपने प्राकृतिक ढंग से बढ़ने और बने रहने दिया जाता है। सिख लोग इसे शरीर के लिए लाभदायक मानते है । यह प्रथा पाँच ककार में से एक है, जो सिख वेश हेतु गुरु गोबिन्द सिंह जी ने आवश्यक घोषित किए थे। केशों को दिन में दो बार कंघे (ये भी पाँच क में सम्मिलित है) से संवारा जाता है, और इसकी साधारण गाँठ बाँध दी जाती है जिसे जूड़ा या ऋषि केश कहा जाता है। सामान्यतः जूड़े को कंघे की सहायता से स्थिर रखा जाता है और पगड़ी (पंजाबी में : दस्तार) से ढका जाता है।