कोलकाता मेट्रो
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कोलकाता मेट्रो (बंगाली: কলকাতা মেট্রো) पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता और कोलकाता महानगर क्षेत्र में परिवहन की गति तेज करने वाली रेल सेवा है।[1] इसे मंडलीय रेलवे का स्तर प्रदान किया गया है। यह भारतीय रेल द्वारा संचालित है।[2] भारत की प्रथम मेट्रो प्रणाली वर्ष 1984 में आरंभ हुई थी।[3] इसके बाद दिल्ली मेट्रो 2002 में आरंभ हुई थी। जनवरी 2023 तक इसकी तीन लाइनें — दक्षिणेश्वर से कवि सुभाष तक 31.36 किमी (19.49 मील), साल्ट लेक सेक्टर 5 से सियालदह तक 9.1 किमी (5.7 मील), और जोका से तारातला तक 6.5 किमी (4.0 मील), कुल 46.96 किमी (29.18 मील) — परिचालन में हैं। तीन अन्य लाइनें निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। इस प्रणाली में ब्रॉड-गेज और मानक-गेज दोनों ट्रैकों का उपयोग करते हुए भूमिगत, भू-स्थित (at-grade) और ऊँचे (elevated) स्टेशनों का मिश्रण है। ट्रेनें 06:55 और 22:30 भारतीय मानक समय के बीच संचालित होती हैं और किराया सामान्यतः ₹5 से ₹25 (समय-समय पर परिवर्तित) तक होता है।
कोलकाता मेट्रो কলকাতা মেট্রো | |||
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जानकारी | |||
क्षेत्र | कोलकाता, भारत | ||
यातायात प्रकार | त्वरित यातायात | ||
लाइनों की संख्या | 2 | ||
स्टेशनों की संख्या | 24 (15 भूमिगत, 2 भू-स्थित एवं 7 ऊँचे) | ||
प्रतिदिन की सवारियां | 700,000 यात्री (लगभग) | ||
प्रचालन | |||
प्रचालन आरंभ | 1984 | ||
संचालक | |||
तकनीकी | |||
प्रणाली की लंबाई | 46.96 किमी (29.18 मील) | ||
पटरी गेज | 1,676 मि॰मि॰ (5 फी॰ 6 इं॰) (ब्रॉड गेज) | ||
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कोलकाता मेट्रो की योजना 1920 के दशक में बनाई गई थी लेकिन इसका निर्माण 1970 के दशक में आरंभ हुआ। साल्ट लेक सेक्टर 5 से फूलबागान तक लाइन 2 या पूर्व-पश्चिम गलियारे का एक छोटा खंड 2020 में खोला गया। लाइन 3, या जोका-एस्प्लेनेड गलियारा (तारातला), 2022 में खोला गया। यह दिल्ली मेट्रो, नम्मा मेट्रो, हैदराबाद मेट्रो और चेन्नई मेट्रो के बाद भारत में परिचालित पाँचवाँ सबसे लंबा मेट्रो नेटवर्क है।
मेट्रो रेलवे, कोलकाता और कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन इस प्रणाली के स्वामी और परिचालक हैं। 29 दिसंबर 2010 को मेट्रो रेलवे, कोलकाता भारतीय रेलवे का 17वाँ ज़ोन बन गया, जो पूरी तरह से रेल मंत्रालय के स्वामित्व में और उसी के द्वारा वित्त पोषित है। यह भारतीय रेलवे द्वारा नियंत्रित होने वाली देश की एकमात्र मेट्रो है। लगभग 300 दैनिक रेल आवागमन में 700,000 से अधिक यात्री लाभान्वित होते हैं।