नौसैनिक तोपखाना
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नौसैनिक तोपखाना (Naval artillery) वह तोपखाना है जो युद्धपोतों पर लगा होता है। पहले इसका उपयोग केवल नौसैनिक युद्ध में किया जाता था किन्तु बाद में समुद्रतट पर बमबारी करने के लिए तथा वायुयानों को मार-गिराने के लिए भी किया जाने लगा। नौसैनिक तोपखाने के अन्तर्गत प्रायः नालों से छोड़े गए प्रक्षेपात्रो को सम्मिलित किया जाता है जबकि टॉरपीडो, रॉकेट और मिसाइल आदि इसके अन्तर्गत नहीं आते। परम्परागत नाविक तोपंदाजी अपने उत्कर्ष पर पहुँच चुकी हैं और अब हम नियंत्रित अस्त्र-शस्त्र (guided missiles) के युग में प्रवेश कर चुके हैं।
जब से तोप का आविष्कार हुआ और समुद्री तल पर उसका उपयोग करना सम्भव हो गया तभी से युद्ध के लिए जहाजों पर तोप का प्रयोग किया जाने लगा। प्रारम्भिक समुद्री युद्ध में तोप के प्रयोग से शत्रु को डराकर खदेड़ना, शत्रु कार्मिकों को क्षतिग्रस्त करना, या जहाज रोककर लूटना और उसे नष्ट करना होता था। बाद में गोले की घातक शक्ति के बढ़ने पर तोप की प्रक्षेप दूरी या परास भी बढ़ा और आजकल तो पचासों किलोमीटर तक के जहाजों पर गोले फेंके जा सकते हैं।