मत्स्य पुराण
अठारह प्रमुख पुराणों में से एक, मध्यकालीन युग / From Wikipedia, the free encyclopedia
मत्स्य पुराण (मत्स्य = मछली) में भगवान श्रीहरि के मत्स्य अवतार की मुख्य कथा के साथ अनेक तीर्थ, व्रत, यज्ञ, दान आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें जल प्रलय, मत्स्य व मनु के संवाद, राजधर्म, तीर्थयात्रा, दान महात्म्य, प्रयाग महात्म्य, काशी महात्म्य, नर्मदा महात्म्य, मूर्ति निर्माण, राजाओं की विजयार्थ यात्रा का विधान, एवं त्रिदेवों की महिमा आदि पर भी विशेष प्रकाश डाला गया है।[1] चौदह हजार श्लोकों वाला यह पुराण भी एक प्राचीन ग्रंथ है।