एफिल टॉवर
पेरिस, फ्रांस में चैंप डी मार्स पर टॉवर / From Wikipedia, the free encyclopedia
अइफ़िल टावर (फ़्रान्सीसी: Tour Eiffel, /tuʀ ɛfɛl/) फ्रांस की राजधानी पैरिस में स्थित एक लौह टावर है। इसका निर्माण १८८७-१८८९ में शैम्प-दे-मार्स में सीन नदी के तट पर पैरिस में हुआ था। यह टावर विश्व में उल्लेखनीय निर्माणों में से एक और फ़्रांस की संस्कृति का प्रतीक है। अइफ़िल टावर की रचना गुस्ताव अइफ़िल के द्वारा की गई है और उन्हीं के नाम पर से अइफ़िल टॉनर का नामकरन हुआ है। अइफ़िल टावर की रचना १८८९ के वैश्विक मेले के लिए की गई थी। जब अइफ़िल टावर का निर्माण हुआ उस वक़्त वह दुनिया की सबसे ऊँची इमारत थी। आज की तारीख में टावर की ऊँचाई ३२४ मीटर है, जो की पारंपरिक ८१ मंज़िला इमारत की ऊँचाई के बराबर है। बग़ैर एंटेना शिखर के यह इमारत फ़्रांस के मियो (फ़्रान्सीसी: फ़्रान्सीसी) शहर के फूल के बाद दूसरी सबसे ऊँची इमारत है। यह तीन मंज़िला टावर पर्यटकों के लिए साल के ३६५ दिन खुला रहता है। यह टावर पर्यटकों द्वारा टिकट खरीदके देखी गई दुनिया की इमारतों में अव्वल स्थान पे है।
अइफ़िल टावर | |
शैम्प्स दे मार्स से एफ़िल टावर का दृश्य
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जानकारी | |
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स्थिति | पैरिस, फ्रांस |
हाल की स्थिति | पूर्ण |
निर्माण | १८८७-१८८९ |
उपयोग | पर्यवेक्षण टॉवर रेडियो प्रसारण टॉवर |
ऊंचाई | |
एण्टीना/Spire | 324 मीटर (1,063 फीट) |
छत | 300.65 मीटर (986 फीट) |
सर्वोच्च तल | 273.0 मी॰ (896 फीट) |
कम्पनियां | |
वास्तुकार | गुइस्ताव अइफ़िल |
संरचना अभियंता | गुइस्ताव अइफ़िल |
मालिक | पैरिस शहर, फ़्रांस (100%) |
अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ताज महल जैसे भारत की पहचान है, वैसे ही अइफ़िल टावर फ़्रांस की पहचान है।
1889 में फ़्रांसीसी क्रांति के शताब्दी महोत्सव के अवसर पर, वैश्विक मेले का आयोजन किया गया था। इस मेले के प्रवेश द्वार के रूप में सरकार एक टावर बनाना चाहती थी। इस टावर के लिए सरकार के तीन मुख्य शर्तें थीं--
- टावर की ऊँचाई 300 मीटर होनी चाहिए
- टावर लोहे का होना चाहिए
- टावर के चारों मुख्य स्थंभ के बीच की दूरी 125 मीटर होनी चाहिए। इस प्रस्ताव पर 107 इंजीनियरों ने डिजाइन दिए जिसमें से गुस्ताव अइफ़िल की परियोजना मंज़ूर की गई। मौरिस कोच्लिन,एमिल नुगिए इस परियोजना के संरचनात्मक इंजीनियर थे और स्टीफेन सौवेस्ट्रे वास्तुकार थे। 300 मजदूरों ने मिलकर अइफ़िल टावर को 2 साल, 2 महीने और 5 दिनों में पूरा किया। इसका उद्घाटन 31 मार्च 1889 में हुआ और 6 मई से यह टावर लोगों के लिए खुला गया।
हालाँकि अइफ़िल टावर उस समय की औद्योगिक क्रांति का प्रतीक था और वैश्विक मेले के दौरान आम जनता ने इसे काफी सराहा, फिर भी कुछ नामी हस्तियों ने इस निर्माण की आलोचना की। उस वक़्त के सभी समाचार पत्र पैरिस के कला समुदाय द्वारा लिखे गए निंदा पत्रों से भरे पड़े थे। विडंबना की बात यह है कि जिन नामी हस्तियों ने शुरुआती दौर में इस टावर की निंदा की थी, उन में से कई हस्तियाँ ऐसी थीं जिन्होंने बदलते समय के साथ अपनी राय बदली। ऐसी हस्तियों में नामी संगीतकार शार्ल गुनो थे, जिन्होंने 14 फ़रवरी 1887 के समाचार पत्र "Le Temps " में अइफ़िल टावर को पैरिस की बेइज्जती कहा था। बाद में उनके विचार बदले और उन्होंने एफिल टावर की प्रशस्ति में एक कॉन्सर्ट की रचना की।
शुरुआती दौर में विचार यह था कि अइफ़िल टावर को सिर्फ 20 साल तक कायम रखा जाएगा और 1909 में इसे नष्ट कर दिया जाएगा। लेकिन इन 20 सालों के दौरान टावर ने पर्यटकों को इस कदर आकर्षित किया और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इसे ऐसा उपयोगी माना गया कि इसे तोड़ने के बजाए इसे विश्व धरोहर के रूप में कायम रखने का फैसला किया गया।