महाभारत
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महाभारत संस्कृत भाषा के दू गो प्राचीन महाकाब्य सभ में से एक बा, दुसरका रामायण हवे।[1]
महाभारत के कथा, कुरुक्षेत्र में पांडव आ कौरव लोग के बीच भइल जुद्ध के कथा हवे। एकरे अलावा एह में धार्मिक उपदेश, दार्शनिक आ आध्यात्मिक चीज आ भक्ति संबंधी बिचार भी लिखल बा। श्रीमद्भगवद्गीता, नल-दमयंती के कथा आ ऋष्यशृंग के कथा नियर कई चीज जे एही महाकाब्य के हिस्सा हईं, अपना में खुद स्वतंत्र रचना के लेखा भी परतिष्ठा पवले बाड़ी सऽ। महाभारत में पुरुषार्थ चतुष्टय के बरनन भी बा आ एह महाकाब्य में रामायण के संछिप्त रूप भी समाइल बा।
परंपरा अनुसार, महाभारत के रचयिता व्यास मुनि के मानल जाला। हालाँकि, एकरे मूल रूप आ आकार के बारे में बहुत खोजबीन करे के कोसिस बिद्वान आ रिसर्च करे वाला लोग द्वारा कइल गइल बा। एकर सभसे पुरान, अबहिन ले बचल संस्करण सभ 400 ईपू से पुरान ना मानल जालें, हालाँकि मूल रचना के आठवीं-नउवीं सदी ईसापूर्व के मानल जाला।[2] अइसन मानल जाला कि ई ग्रंथ अपना वर्तमान बिसाल रूप में गुप्त काल (चउथी सदी इसवी) में पहुँचल[3] महाभारत शब्द के अरथ बतावल जाला - "भारत कुल के लोग के कथा"; इहो बतावल जाला कि एकर पुरान संस्करण 24,000 श्लोक वाला रहे जेकरा के खाली "भारत" कहल जाय।[4]
महाभारत दुनिया के सभसे बड़हन महाकाब्य हवे आ एकरा के "अब तक ले लिखल गइल सभसे लमहर कबिता (काब्य)" के रूप में बतावल गइल बा।[5][6] एकरा सभसे लमहर वर्शन में 1,00,000 लाख श्लोक, मने की 2,00,000 लाइन (श्लोक दू लाइन के छंद हवे) बाटे, आ बिचा-बिचा में लमहर गद्य भी मिलेला। कुल लगभग 18 करोड़ शब्द संख्या वाला ई महाकाब्य, इलियड आ ओडिसी दुन्नों के मिला दिहल जाय तबो एकरे लगभग दस गुना होखी; संस्कृते के दुसरका प्रतिष्ठित महाकाब्य रामायण के तुलना में ई लगभग चारि गुना बड़ बा।[7][8] डब्लू जे जॉनसन एह महाकाब्य के दुनिया के सगरी सभ्यता सभ के ग्रंथ सभ से तुलना करे में महत्त्व के मामिला में बाइबिल, शेक्सपियर के रचना-संसार, होमर के रचना, यूनानी ड्रामा, भा कुरआन के बराबर मनले बाने।[9]