2019 अयोध्या विवाद पर उच्चतम न्यायालय का निर्णय
भारतीय भूमि विवाद निर्णय / From Wikipedia, the free encyclopedia
अयोध्या विवाद में अंतिम निर्णय 9 नवंबर 2019 को भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा घोषित किया गया था।[3] सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू मंदिर बनाने के लिए एक ट्रस्ट को जमीन सौंपने का आदेश दिया। इसने सरकार को मस्जिद बनाने के उद्देश्य से सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि निर्मोही अखाड़ा देवता राम लल्ला का शेवित या भक्त नहीं है और अखाड़े का मुकदमा मर्यादा द्वारा वर्जित था।[4]
सामान्य तथ्य अदालत, पूर्ण मामले का नाम ...
अयोध्या विवाद पर 2019 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला | |
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अदालत | भारत का उच्चतम न्यायालय |
पूर्ण मामले का नाम | M Siddiq (D) Thr Lrs v. Mahant Suresh Das & Ors |
फैसला किया | 9 नवम्बर 2019 (2019-11-09) |
उद्धरण(एस) | [1][2] |
व्यक्ति वृत्त | |
से अपील की गई | इलाहाबाद उच्च न्यायालय |
appealed to | भारत का उच्चतम न्यायालय |
Subsequent action(s) | See below |
न्यायालय की सदस्यता | |
जज बैठक | रंजन गोगोई (CJI), शरद अरविंद बोबडे, धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़, Ashok Bhushan, S. Abdul Nazeer |
सन्निपतन | 5 |
Dissent | None; unanimous verdict |
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