अजितनाथ
द्वितीय तीर्थंकर प्रभुजी / From Wikipedia, the free encyclopedia
अजितनाथ जैन धर्म के २४ तीर्थकरो में से वर्तमान अवसर्पिणी काल के द्वितीय तीर्थंकर है।[1]अजितनाथ का जन्म अयोध्या के इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय राजपरिवार में माघ के शुक्ल पक्ष की अष्टमी में हुआ था। इनके पिता का नाम जितशत्रु और माता का नाम विजया था। अजितनाथ का चिह्न हाथी था।[2]
सामान्य तथ्य अजितनाथ, विवरण ...
अजितनाथ | |
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द्वितीय तीर्थंकर | |
श्री अजितनाथ भगवान, मथुरा, चौरासी उत्तर प्रदेश | |
विवरण | |
अन्य नाम | अजीतनाथ |
पूर्व तीर्थंकर | ऋषभदेव |
अगले तीर्थंकर | सम्भवनाथ |
गृहस्थ जीवन | |
वंश | इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय |
पिता | राजा जितशत्रु |
माता | विजयादेवी |
पंच कल्याणक | |
च्यवन स्थान | विजय नामक अनुत्तर विमान से |
जन्म कल्याणक | माघ शुक्ला दसवीं |
जन्म स्थान | अयोध्या |
दीक्षा कल्याणक | माघ शुक्ला नौवीं |
दीक्षा स्थान | सहेतुक वन अयोध्या नगरी |
केवल ज्ञान कल्याणक | पौष शुक्ला ग्यारस |
केवल ज्ञान स्थान | अयोध्या नगरी |
मोक्ष | चैत्र शुक्ला पंचमी |
मोक्ष स्थान | सम्मेद शिखरजी |
लक्षण | |
रंग | स्वर्ण |
ऊंचाई | ४५० धनुष (१३५० मीटर) |
आयु | ७२,००,००० पूर्व (५०८.०३२ × १०१८ वर्ष) |
वृक्ष | सप्तपर्ण वृक्ष |
शासक देव | |
यक्ष | महायक्ष |
यक्षिणी | अजितबाला |
गणधर | |
प्रथम गणधर | श्री सिंहसेन |
गणधरों की संख्य | नब्बे गणधर |
बंद करें
भगवान अजिताथ की कुल आयु 72 लाख पूर्व की थी।