विक्रमादित्य
भारत के पौराणिक सम्राट / From Wikipedia, the free encyclopedia
"विक्रमादित्य" (57 ईसा पूर्व - 19 ईस्वी) भारतीय सम्राट थे जिन्हें 'विक्रमसेन' के नाम से भी जाना जाता है। उनके साम्राज्य कि राजधानी उज्जैन थी।[1][2]
विक्रमादित्य | |
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चक्रवर्ती सम्राट | |
मालवेन्द्र | |
शासनावधि | ल. 57 ई.पू. - 19 ई. |
राज्याभिषेक | ल. 57 ई.पू. |
पूर्ववर्ती | सम्राट गंधर्वसेन |
जीवनसंगी | मदनलेखा, चंद्रवती, कलिंगसेना, मदनसुंदरी, गुनवती |
पिता | गंधर्वसेन |
धर्म | हिन्दू धर्म |
विक्रमादित्य ने विक्रम संवत का प्रवर्तन 57 ईसापूर्व में शकों को हराने के बाद की थी। उन्होंने उत्तर भारत पर अपना शासन व्यवस्थित किया था। उनके पराक्रम को देखकर ही उन्हें महान सम्राट कहा गया और उनके नाम की उपाधि कुल १४ भारतीय राजाओं को दी गई।
राजा विक्रमादित्य नाम, 'विक्रम' और 'आदित्य' के समास से बना है जिसका अर्थ 'पराक्रम का सूर्य' या 'सूर्य के समान पराक्रमी' है।उन्हें विक्रम या विक्रमार्क (विक्रम + अर्क) भी कहा जाता है (संस्कृत में अर्क का अर्थ सूर्य है)।
"विक्रमादित्य" की उपाधि भारतीय इतिहास में बाद के कई अन्य राजाओं ने प्राप्त की थी, जिनमें गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय और सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य (जो हेमु के नाम से प्रसिद्ध थे) उल्लेखनीय हैं।